Sunday, July 5, 2009

उन्मूलन

निर्माणाधीन “विकास भवन” की पहली मंज़िल के उद्‌घाटन के अवसर पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजिन किया गया। शहर की प्रमुख हस्तियों के अलावा देश के जाने माने विद्वान, प्रशासक, राजनेता, पत्रकार, साहित्यकार आमंत्रित थे। विषय था- गरीबी उन्मूलन : कल, आज और कल।
सेमिनार खत्म हो गया। सब लोग जा चुके थे। लेकिन हॉल अभी सूना नहीं हुआ था। वहां शोरगुल जारी था। मैंने अंदर जाकर देखा। बिल्डिग के निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के बच्चे चीजें बटोरने में लगे थे। छीना-झपटी भी हो रही थी। कोई बिसलेरी की दो-तीन खाली बोतलें पाकर ही खुश था, तो कोई प्लेटों के ढेर में रसगुल्ले तलाश रहा था। कोई नीचे से पिज्जा उठाकर उसमें लगी धूल-मिट्टी साफ कर रहा था, तो कोई फ्रूटी के खाली डिब्बे में स्ट्रा डालकर सुट्टा मार रहा था। जिस बच्चे के हाथ ढेर सारा माल लग चुका था, वह कुत्तों से नजरें बचाकर बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था ...।

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